महारानी एलिजाबेथ की मौत के बाद भारत का कोहिनूर हीरा लौटाने की मांग, जानिए क्या है कोहिनूर का भारत कनेक्शन

महारानी एलिजाबेथ की मौत के बाद भारत का कोहिनूर हीरा लौटाने की मांग, जानिए क्या है कोहिनूर का भारत कनेक्शन

Kohinoor Diamond: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही ट्विटर पर भारतीयों ने एक मांग शुरू कर दी है. इसमें ब्रिटेन से भारत का कोहिनूर हीरा लौटाने की बात कही जा रही है. लोग पूछ रहे हैं कि अब कोहिनूर हीरे का क्या होगा. जिस ताज में कोहिनूर हीरा लगा है उसे कौन पहनेगा. 105.6 कैरेट का यह हीरा ब्रिटिश सम्राट के क्राउन में 1937 से लगा हुआ है. जानें क्या है इस बेशकीमती हीरे के पीछे का इतिहास…दुनिया के सबसे बड़े हीरे में लगे कीमती पत्थरराजा जॉर्ज छठे की ताजपोशी के लिए 1937 में एक मुकुट बनाया गया था. इसमें कई कीमती पत्थर भी लगे हैं, जिसमें कोहिनूर भी शामिल है. प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर डचेस कैमिला को भी क्वीन की उपाधि दी जाएगी. चार्ल्स के राज्याभिषेक के दौरान कैमिला को ही कोहिनूर के साथ ताज सौंपा जाएगा. कोहिनूर 105 कैरेट का हीरा है. भारत की गोलकुंडा खदान में मिला था. 1849 में जब ब्रिटिश उपनिवेश पंजाब में आया तो इसे अंतिम सिख शासक दलीप सिंह ने महारानी को भेंट किया था. मूल रूप में कोहिनूर हीरा 793 कैरेट का था. वर्तमान में यह 105.6 कैरेट का रह गया है जिसका वजन 21.6 ग्राम है. एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था.महारानी ने की थी ये घोषणाकोहिनूर हीरा वर्तमान में प्लेटिनम के मुकुट में है जिसे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इंग्लैंड के सम्राट के रूप में अपने शासनकाल के दौरान पहना था. इस साल फरवरी में, महारानी ने घोषणा की थी कि जब चार्ल्स इंग्लैंड में राजशाही की बागडोर संभालेंगे तो कैमिला पार्कर बाउल्स क्वीन कंसोर्ट बनेंगी. अब, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि कैमिला कोहिनूर पहनेगी.भारत ने की थी हीरा वापस लेने की कोशिशभारत आजाद होने के बाद साल 1953 में कोहिनूर हीरे की वापस करने की मांग रखी थी जिस इंग्लैंड ने खारिज कर दिया था. लेकिन भारत सरकार इस बारे में अपनी कोशिश जारी रखी. ब्रिटेन का कहना है कि भारत के पास कोहिनूर वापस मांगने का कोई कानूनी आधार नहीं है. क्योंकि समकालीन पंजाब के 13 साल के राजा दलीप सिंह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को यह हीरा तोहफे में दिया था. भारत के अलावा साल 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कोहिनूर हीरा मांगने की कोशिश की थी लेकिन उनके भी मना कर दिया गया.कोहिनूर का लेकर कई मिथककोहिनूर का एक मिथक भी है. कहते हैं कि ये हीरा महिला स्वामियों के लिए भाग्यशाली है वहीं पुरुष स्वामियों के लिए ये दुर्भाग्य और मृत्यु का कारण बन सकता है. बता दें कि भारत में कोहिनूर को वापस लाने की कई बार मांग उठ चुकी है. लेकिन ब्रिटेन ने यह हीरा देने से हमेशा इनकार किया है. एक अनुमान के मुताबिक कोहिनूर की कीमत करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये है.कहानी भारत के बेशकीमती कोहिनूर कीकोहिनूर की कहानी आज से लगभग 800 साल पहले शुरू हुयी थी. यह आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा के खदानों में मिला था. इसका इतिहास गोलकुंडा की खदानों से निकले बेशकीमती हीरा है. ऐसा कहा जाता है कि इसी खदान में दरियाई नूर. नूर-उन-ऐन, ग्रेट मुगल, ओरलोव आगरा डायमंड, अहमदाबाद डायमंड और ब्रोलिटी ऑफ इंडिया जिसे कई हीरे मिले हैं. वास्तविक हीरा कोहिनूर 793 कैरेट का बताया जाता है. आज के समय में यह 105.6 कैरेट का रह गया है, जिसका वजन 21.6 ग्राम है. एक समय में यह दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था. इस बेशकीमती हीरे को  कभी भी बेचा या खरीदा नहीं गया है. इसे एक से दूसरे राजा ने जीता है या फिर इसे तोहफे के तौर पर दिया गया है.ऐसा है कोहिनूर का इतिहासइस खूबसूरत और बेशकीमती हीरे को लेकर मान्यता के आधार पर इस हीरे को श्रापित कहा जाता है. इसके श्रापित होने के बात 13वीं सदी से चली आ रही है. इसे शापित इसलिए भी कहा जाता होगा क्योंकि इस हीरे की चमक-दमक के पीछे बहुत सारे राजाओं ने अपनी जान गंवाई है.कोहिनूर वापस पाने की ये कोशिश भी रही नाकामआजादी के बाद साल 1953 में इंडिया ने ब्रिटेन से कोहिनूर हीरे को लौटाने की मांग रखी थी, लेकिन हीरा वापस नहीं आ पाया. भारत सरकार ने अपनी कोशिश जारी रखीं. वहीं, ब्रिटेन वहीं, ब्रिटेन कोहिनूर हीरे को लेकर यह दलील देता है कि इंडिया के पास कोहिनूर वापस मांगने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि समकालीन पंजाब के 13 साल के शासक दिलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को यह हीरा तोहफे के तौर पर दिया था. वहीं, भारत के अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने भी साल 1976 में कोहिनूर को लौटाने की मांग की थी. इंग्लैंड ने उस समय भी हीरा वापस करने से मना कर दिया था.

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