हालत जो हमारी है तुम्हारी तो नहीं है
ऐसा है तो फिर ये कोई यारी तो नहीं है

तहक़ीर ना कर ये मेरी उधड़ी हुई गुदड़ी
जैसी भी है अपनी है उधारी तो नहीं है
तनहा ही सही लड़ तो रही है वो अकेली
बस थक के गिरी है अभी हारी तो नहीं है
ये तू जो मोहब्बत में सिला मांग रही है ऐ शख्स तू अंदर से भिखारी तो नहीं है
जितनी भी कमा ली हो बना ली हो ये दुनिया
दुनिया है तो फिर दोस्त तुम्हारी तो नहीं है
Thodi si Mohabbat Kar lo jiska jeevan aapke liye ho