Money Laundering: मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दायर करने पर ईडी का यू-टर्न, कहा- ऐसा कुछ भी नहीं

मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने के मामले पर ईडी ने यू-टर्न लिया है। न्यूज एजेंसी एएनआई का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय के शीर्ष अधिकारी ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज किए जाने की बात से इनकार किया है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी एएनआई ने दी। हालांकि, कुछ देर बाद न्यूज एजेंसी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के शीर्ष अधिकारी ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज किए जाने की बात से इनकार किया है।

मनीष सिसोदिया के पैतृक गांव पहुंची जांच एजेंसी
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पैतृक गांव शाहपुर फगौता में मंगलवार को चार से पांच कारों में सवार होकर पहुंची अधिकारियों की एक टीम ने उनकी संपत्ति की जांच की। हालांकि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन जांच करने वाली सीबीआई या ईडी की टीम बताई जा रही है। धौलाना विकास खंड़ क्षेत्र का गांव शाहपुर फगौता दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का पैतृक गांव है। फिलहाल गांव में मनीष सिसोदिया के परिवार के सदस्य रहते हैं।
उपमुख्यमंत्री के चाचा से की पूछताछ
उपमुख्यमंत्री के चाचा सोनवीर सिंह बताया कि मंगलवार दोपहर को चार-पांच कारें उनके घर पर आकर रुकीं। सभी कारें दिल्ली नंबर की थीं। कार में सवार लोगों ने खुद को जांच अधिकारी बताते हुए उन्हें अपने साथ कार में बैठा लिया। इसके बाद वे उन्हें लेकर खेतों में पहुंचे और जमीन के बारे में पूछताछ की। उपमुख्यमंत्री के चाचा ने कार सवार लोगों को सीबीआई की टीम होने की आशंका जताते हुए बताया कि कार सवार लोगों ने मनीष सिसोदिया द्वारा गांव में बनाए गए मंदिर, पैतृक संपत्ति आदि के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि यहां से जाने के बाद मनीष सिसोदिया ने गांव में कोई जमीन नहीं खरीदी है। यह बात उन्होंने कार सवार अधिकारियों को भी बताई। इसके बाद टीम उन्हें गांव में छोड़कर वापस लौट गई।
यह है मामला
दरअसल एलजी ने दिल्ली के सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 8 जुलाई को यह रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसमें पिछले साल लागू की गई आबकारी नीति पर सवाल उठाए गए थे। जिसमें आबकारी नीति (2021-22) बनाने और उसे लागू करने में लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों की अनदेखी और नीति के कार्यान्वयन में गंभीर चूक के आरोप हैं। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को टेंडर के बाद लाभ पहुंचाना भी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि शराब बेचने की वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों की अनदेखी की है।
एलजी ने पूर्व आबकारी आयुक्त समेत 11 अधिकारियों को किया निलंबित
इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने 7 अगस्त को आबकारी नीति में भ्रष्टाचार और नीति लागू करने में बरती गई अनियमितताओं के आरोप में 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। एलजी ने सतर्कता निदेशालय (डीओवी) की जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर कार्रवाई की। उन्होंने पूर्व आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण (आईएएस) और तत्कालीन उपायुक्त आनंद कुमार तिवारी (दानिक्स) समेत सभी आरोपियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की विजिलेंस को मंजूरी भी दी।

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