दिल्ली, 1 बोतल के नियम पर नोएडा-गुड़गांव वाले पूछ रहे- हमसे भेद क्यों कर रही मधुशाला?

अगर आप नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद या दिल्ली से सटे किसी राज्य में रहते हैं और पीने के शौकीन,

हाइलाइट्स

  • दिल्ली से लगे पड़ोसी राज्यों के बॉर्डर पर निगरानी बढ़ी
  • 1 बोतल शराब लेकर आने का रूल सख्ती से हो रहा पालन
  • नोएडा-गुड़गांव वाले नाराज, एक बोतल से ज्यादा खरीदने में क्या दिक्कत

रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,
साम्यवाद की प्रथम प्रचारक है यह मेरी मधुशाला

हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियां इन दिनों दिल्ली के पड़ोसी शहरों के लोगों के जेहन में उमड़ रही हैं। वे कह रहे हैं कि मदिरालय में भेद नहीं होता है, अगर कोई 2-3 बोतल लेकर अपने घर जाना चाहता है तो उसे परमिशन क्यों नहीं है। एक बॉटल रूल ने इन पड़ोसियों का दिल तोड़ दिया है।

तब गटकने लगे थे ज्यादा
थोड़ी सी जो पी ली है… दिल्ली में जब डिस्काउंट मिलने लगा तो एनसीआर में रहने वाले थोड़ी नहीं, ज्यादा पीने लगे। लेकिन इन दिनों वे मायूस हैं। वे उस रूल को कोस रहे हैं जिसने उनके पीने के अधिकार में कटौती कर दी है। फार्मासिस्ट अजीत चौधरी काफी समय से हफ्ते में दो बार अपने होलसेल दवाओं के बिजनस के सिलसिले में दिल्ली के भागीरथ पैलेस आते जाते रहते हैं। दो दशक से कुछ यही रूटीन बन चुका था कि वे जब भी दिल्ली जाते नोएडा आते समय वह अपने पीने के लिए व्हिस्की और बियर खरीद लाते। जब दिल्ली में शराब पर छूट मिलने लगी तो चौधरी ने खरीद बढ़ा दी। लेकिन नोएडा एक्साइज डिपार्टमेंट ने जो नया आदेश जारी किया है उससे चौधरी काफी निराश हैं। नए नियम के तहत बॉर्डर क्रॉस करते समय आप केवल एक अनसील वाली बोतल ला सकते हैं।

चौधरी कहते हैं, ‘कई सालों से मैं हर महीने 2-3 बोतल शराब और बीयर की एक पेटी दिल्ली से खरीदता रहा हूं। यह नया नियम मुझे रोक देता है। मुझे समझ में नहीं आता कि अगर मैं यहां शराब खरीदता हूं तो समस्या क्या है?’

भाई, मैं दिनभर दिल्ली में रहता हूं। अगर नोएडा अपने घर जाते समय शाम को एक बोतल से ज्यादा लेकर चला जाऊंगा तो क्या तूफान आ जाएगा?मयूर विहार में एक शॉप के बाहर खड़े शौकीन
अलग टैक्स की वजह क्या है?
दरअसल, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की तरह शराब को भी इस समय जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इसका मतलब यह है कि शराब पर अपने टैक्स स्ट्रक्चर पर फैसला लेने के लिए राज्य पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। पड़ोसी राज्य जैसे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में शराब पर अलग-अलग टैक्स रेट हैं। इस कारण एक राज्य की तुलना में दूसरे राज्य में लिकर सस्ती या महंगी होती है।

यहां सबसे सस्ती है शराब
मौजूदा टैक्स रेट देखें तो हरियाणा में शराब सबसे सस्ती है, इसके बाद दिल्ली और फिर यूपी का नंबर आता है। पिछले साल तक बड़ी संख्या में दिल्ली के लोग खासतौर से जो रोज गुड़गांव नौकरी या काम के लिए जाते थे, वे हाईवे से आते समय होलसेल दुकानों से अपना स्टॉक खरीद लाते थे। लेकिन दिल्ली की नई एक्साइज पॉलिसी में लिकर स्टोर को रिटेल प्राइस पर ऑफर देने की छूट मिली तो उन्हें राजधानी में ही शराब खरीदना फायदे का सौदा लगा। इससे 

दिल्ली में शराब की बिक्री बढ़ गई। पड़ोसी राज्यों से लोग बॉर्डर क्रॉस करके आते और गटकने के लिए सस्ती शराब खरीदकर ले जाते। इससे नोएडा और गाजियाबाद का रेवेन्यू घट गया। मजबूर होकर एक्साइज डिपार्टमेंट ने बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी।

हर राज्य का एक्साइज एक्ट कहता है कि कोई भी पड़ोसी राज्य से एक लीटर से ज्यादा शराब लेकर नहीं आ सकता। भारी जुर्माने का प्रावधान है, उल्लंघन पर जेल भी है। दिल्ली एक्साइज के एक अधिकारी ने बताया, ‘हर साल, लोग हरियाणा से बड़ी मात्रा में शराब खरीद लाते और दिल्ली में बेचते रहे हैं जिससे हमारे रेवेन्यू पर असर पड़ता है।’ अधिकारी ने कहा कि लेकिन फोकस हमेशा बड़े टारगेट पर रहा है…उतनी सख्ती नहीं हो पाती। अब दिल्ली में काफी प्रतिस्पर्धी रेट और डिस्काउंट मिल रहे हैं, ऐसे में वो ट्रेंड पलट गया है।

ये कैसा NCR है…
गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और अन्य पड़ोसी शहरों में रहने वाले लोग जो दिल्ली में काम करते हैं, उनका कहना है कि यह सिस्टम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की अवधारणा के खिलाफ है। एक एफएमसीजी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले प्रवीण त्यागी कहते हैं, ‘मैं व्यावहारिक रूप से पूरा दिन दिल्ली में बिताता हूं और वापस गाजियाबाद में राज नगर एक्सटेंशन के घर में सोने के लिए जाता हूं। अगर मैं दिल्ली में शराब खरीदता हूं तो इसमें गलत क्या है? आमतौर पर मैं जब भी अपने घर पहुंचता हूं तो गाजियाबाद में लिकर स्टोर्स बंद हो चुके होते हैं।’

NCR को एक आर्थिक क्षेत्र समझा जाना चाहिए। और टैक्स, ट्रांसपोर्ट फेयर, पानी और बिजली का टैरिफ इसके दायरे में आने वाले सभी शहरों के लिए एक समान होने चाहिए।सीए विनीता अग्रवाल
शराब और कमाई का गणित
शराब की बिक्री से मिलने वाला टैक्स रेवेन्यू किसी भी राज्य की आय का बड़ा स्रोत है और इसीलिए कई राज्य शराब को GST के दायरे में लाने के इच्छुक नहीं हैं। नई एक्साइज पॉलिसी के तहत दिल्ली को 2022-23 के लिए कुल अनुमानित टैक्स रेवेन्यू 47,700 करोड़ रुपये में से 20 प्रतिशत यानी 9500 करोड़ से ज्यादा आय शराब से हो सकती है। पहले यह 5,000 करोड़ के आसपास हुआ करता था।

2021-22 में नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर एक्साइज से 2800 करोड़ की आय हुई थी, जो स्टेट एक्साइज रेवेन्यू का 8 फीसदी है। गुड़गांव, फरीदाबाद और हरियाणा के दूसरे दिल्ली से लगते जिले कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा शराब से कमाते हैं। साफ है कि कोई भी स्टेट इस रेवेन्यू को गंवाना नहीं चाहता इसीलिए आजकल दिल्ली से लगी सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

दिलचस्प है कि पेट्रोलियम डीलर्स को भी दिल्ली, हरियाणा और यूपी में अलग-अलग रेट वैट का सामना करना पड़ रहा है। अगर ईंधन पर VAT खासतौर से डीजल पर दिल्ली में बढ़ता है या पड़ोसी राज्यों में घटता है तो बॉर्डर से 3-4 किमी के दायरे में आने वाले पेट्रोल पंपों पर बिक्री अचानक घट जाती है। एक डीलर ने कहा कि ज्यादा टैक्स से दिल्ली का वैट रेवेन्यू तो बढ़ता है लेकिन कुछ पेट्रोलियम डीलरों को नुकसान होता है।

शराब एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के रूल

  • दिल्ली

लिमिट- 1 लीटर
दंड- गाड़ी जब्त, तीन साल तक की सजा या 3 लाख तक फाइन

  • यूपी

लिमिट- 1 लीटर, अनसील
दंड- गाड़ी जब्त, 3 साल तक जेल, एक्साइज ड्यूटी से 10 गुना फाइन

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